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रुक जाना नहीं इस जीवन के सफ़र में चलते है रहना नद

रुक जाना नहीं
इस जीवन के सफ़र में 
चलते है रहना
नदियों की भांति 
धाराओं के जैसे 
मिलना है तुम्हे भी 
समंदर के ढर में

पहाड़ों को तोड़कर
जंगलों को चीरकर 
चलते है रहना
बादलों सफ़र सा
उम्मीदों की भांति
बंजर धरा को
बूंदों से सींचकर

ऊर्जा तुम्हीं हो 
स्वेदक पथिक तुम
कर्मों रथी तुम
युवा हो , प्रजा हो 
युगों की ध्वजा हो 
शौर्य के रग में 
प्रतिनंदन तुम्हीं हो 

खो जाना नही 
भौतिक सुखन में
समय जो सीमित है
मंजिल तुम्हारी 
साधक तुम्ही में 
तुम्ही हो जो कातिब
किताबों तुम्हीं हो ।

©Ritesh Tiwari रूक जाना नहीं #riteshtiwari
#Bicycle
रुक जाना नहीं
इस जीवन के सफ़र में 
चलते है रहना
नदियों की भांति 
धाराओं के जैसे 
मिलना है तुम्हे भी 
समंदर के ढर में

पहाड़ों को तोड़कर
जंगलों को चीरकर 
चलते है रहना
बादलों सफ़र सा
उम्मीदों की भांति
बंजर धरा को
बूंदों से सींचकर

ऊर्जा तुम्हीं हो 
स्वेदक पथिक तुम
कर्मों रथी तुम
युवा हो , प्रजा हो 
युगों की ध्वजा हो 
शौर्य के रग में 
प्रतिनंदन तुम्हीं हो 

खो जाना नही 
भौतिक सुखन में
समय जो सीमित है
मंजिल तुम्हारी 
साधक तुम्ही में 
तुम्ही हो जो कातिब
किताबों तुम्हीं हो ।

©Ritesh Tiwari रूक जाना नहीं #riteshtiwari
#Bicycle