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मैं और मेरा अकेलापन (नीचे अनुशीर्षक में हैं) 👇👇�

मैं और मेरा अकेलापन
(नीचे अनुशीर्षक में हैं)
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©Prashant Shakun "कातिब" मैं और मेरा अकेलापन साथ बैठे कमरे में किताब पढ़ रहे थे, लिखा था कि एक खूबसूरत दुनिया बसती है चार दीवारों के परे, तो सोचा चलकर देखते हैं। अकेलेपन ने साथ चलने से मना कर दिया, तो मैं अकेला ही चला गया।
देखा तो शहर में दंगे हो रहे थे। जगह जगह आग लगी थी बिल्डिंगें, गाड़ियाँ, मकान, घर, मानव, मवेशी सब जल रहे थे कि तभी एक व्यक्ति बदहवास सा भागता हुआ दिखाई दिया तो मैंने उसे रोक कर उससे पूछा कि ये सब क्या हो रहा है? 
उसने सीधा ही मुझसे पूछा तू कौन है? 
मैंने कहा मैं, मैं "प्रशान्त" हूँ, 
उसने कहा "प्रशान्त" मतलब हिन्दू हो.!! 
मैंने कहा हाँ
तब उसने एक तरफ इशारा किया और कहा
उस तरफ पीछे वाली बिल्डिंग में चले जाओ, तो बच जाओगे।
मैं और मेरा अकेलापन
(नीचे अनुशीर्षक में हैं)
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©Prashant Shakun "कातिब" मैं और मेरा अकेलापन साथ बैठे कमरे में किताब पढ़ रहे थे, लिखा था कि एक खूबसूरत दुनिया बसती है चार दीवारों के परे, तो सोचा चलकर देखते हैं। अकेलेपन ने साथ चलने से मना कर दिया, तो मैं अकेला ही चला गया।
देखा तो शहर में दंगे हो रहे थे। जगह जगह आग लगी थी बिल्डिंगें, गाड़ियाँ, मकान, घर, मानव, मवेशी सब जल रहे थे कि तभी एक व्यक्ति बदहवास सा भागता हुआ दिखाई दिया तो मैंने उसे रोक कर उससे पूछा कि ये सब क्या हो रहा है? 
उसने सीधा ही मुझसे पूछा तू कौन है? 
मैंने कहा मैं, मैं "प्रशान्त" हूँ, 
उसने कहा "प्रशान्त" मतलब हिन्दू हो.!! 
मैंने कहा हाँ
तब उसने एक तरफ इशारा किया और कहा
उस तरफ पीछे वाली बिल्डिंग में चले जाओ, तो बच जाओगे।