उलझन सी थी कुछ यादो के पन्ने भी हालत कुछ खराब थी जिंदगी की किताब की पन्ने जभी पलटाया करते तेथे आसु ओ के सिवा कुच नही आते थे आज भी धडकने रुख कर चलने लगती है! उस वक्त के पन्ने जब भी याद आते है खून के आसु रोया करते है! ©Mahendra Dhivare खूण के आसु यादो के बिच. #kitaab