ये आंखे.... इन्हे सिर्फ आंख समझने की भूल ना करना!! कई कहानियां छिपी है इनमें..... कई राज दफ्न किए इसने!! कभी किसकी कटिली बातों पर.....गुर्राई ये आंखें!! कभी किसकी यादों में....मेघा बन बरसी ये आंखें!! कभी बच्चों संग अल्हड़पन करती.... शरारती आंखें!! तो कभी घर से दूर.....अपनो को खोजती ये आंखें!! सफलता की चाहत में.... रात-रात भर जगती ये आंखें!! दोस्तों से कई महीनों बाद मिलने पर.... चमकती हुई नूर वाली ये आंखें!! कभी जब थक हारकर अकेले में बैठती..... बीते पालों को याद कर मुस्कुराती ये आंखें!! ये आंखें........ इन्हें सिर्फ आंख समझने की भूल ना करना!! ©Khushi Priya #Eyes