धुंधले रास्ते, अजियत का सफर हौसले की उड़ान, मंजिल दर बदर रोकने में लगे हैं, जमाने का नजर बचाया है खुदको ऐसे , क्या ही बतलाए महबूब के आँखों का कहर लौट आते हैं अपने , ऐसा पढ़ा था कोरे अल्फाजों वाले किताबों के अक्षर सचमुच की दुनिया, मुसाफिरों का घर नाम_ए_मंजर खुदा की रहमत का असर भूल जाएंगे इक दिन,सारे अपने वजूद को ये मसलसल पनपते , मिलावट का जहर उन्हें लगता है, बच गए हैं ताबीज नजर से तौबा ये मोहब्बत की बेवफाई लौट आएँगे हश्र ©Rumaisa #kahar #safar #Mahbub #Jmana