छलिया को छलाने छल ही छल से छल भी एक प्रेम प्रतीक बताया खुद कृष्ण रूप स्वरूप धरा, और राधा ने कृष्ण को राधा बनाया मुरलीधर के स्वरूप के संग रास रचाया एक दूजे में ऐसे समाया जैसे प्रेम ने प्रेम को प्रेम सिखाया प्रेम कभी भी खराब नहीं होता है, जो लोग कहते हैं ये बेकार की चीज़ है, वो लोग बिलकुल गलत है। प्रेम कृष्णा है, प्रेम सुकून है। इंसान गलत होता है, उसके द्वारा किए हुए कार्य गलत होते है, और अफसोस शर्मसार रिश्तों को कर दिया जाता है। रिश्ते सभी पवित्र हैं, बस मनुष्य की सोच और हरकतें उसे गलत बना देती है। #hindipoetry