सरे राह कुछ भी कहा नहीं, उसके घर कभी गया नहीं, मैं जनम जनम से उसी का हू, शायद उसे पता नहीं, उसे पाक दर्शकों की तरह चूमना भी इबादत मे शुमार है, कोई फूल लाख करीब हो, मैंने उसको छुआ नहीं, ये ख़ुदा की अदा भी अजीब है, जिसे उसने चाहा मिल गया, जिसे मैंने चाहा मिला नहीं, इसी शहर में मेरे कई अजीज है, उनको मेरी खबर नहीं, मुझे उनका पता नहीं, आकाश R मिश्रा #@पता नहीं