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मेरी पहूंच तुझ तक नहीं,पता है। अब तक की सुझ बुझ ,त

मेरी पहूंच तुझ तक नहीं,पता है।
अब तक की सुझ बुझ ,तुझ तक नहीं, पता है।
लेकिन बादलो की तरहां ,तुझको छुपा सकता हूं,
मै इंसान हू , बहुत कुछ कर चुका हूं,
तुझे तो पता है।
#विजय वासे

©VJVJ #reach
मेरी पहूंच तुझ तक नहीं,पता है।
अब तक की सुझ बुझ ,तुझ तक नहीं, पता है।
लेकिन बादलो की तरहां ,तुझको छुपा सकता हूं,
मै इंसान हू , बहुत कुछ कर चुका हूं,
तुझे तो पता है।
#विजय वासे

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innovationgarden8572

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