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निशा बीती, गगन का रूप दमका, किनारे पर किसी का चीर

निशा बीती, गगन का रूप दमका,
किनारे पर किसी का चीर चमका।
क्षितिज के पास लाली छा रही है,
अतल से कौन ऊपर आ रही है ?

                           रामधारी सिंह "दिनकर"

©pandey_prakash #इसरो
निशा बीती, गगन का रूप दमका,
किनारे पर किसी का चीर चमका।
क्षितिज के पास लाली छा रही है,
अतल से कौन ऊपर आ रही है ?

                           रामधारी सिंह "दिनकर"

©pandey_prakash #इसरो