मैंने कहा था, लड़का बड़ा होके सहारा होगा । बेटा समझ बैठा, पैसे से ही गुज़ारा होगा । अब सोने की छड़ी तो है, पर सहारा मिलता नहीं । मखमली बिस्तर तो है, नींद आंखों में बसती नहीं । खाने को लज़ीज़ पकवान है, भूख़ लगती नहीं पीने को मीठा पानी है, प्यास बुझती नहीं । टेहलने को बाग है, मगर दिल बेहलता नहीं । रहने को बंगला है, पर वीराना दिल से जाता नहीं । जी खुशियों का मंज़र चाहता है, पर परिवार का इंतजाम नहीं । मैंने कहा था, लड़का बड़ा होके सहारा होगा । बेटा समझ बैठा, पैसे से ही गुज़ारा होगा । - Anuradha Sharma ©Anuradha Sharma #oldage #family #support #care #love #livetogether #yqquotes #yqdidi