मन मेरा ये सोचता कि प्यार में हूँ चूर मैं। है हदफ़ एक दायरा इन दायरों से दूर मैं। नापना मन चाहता उन्मुक्त हो पूरा गगन! सरहदों के पार जाकर मैं रहूँ होके मगन। लालचों के इस हरम से पार जाना है मुझे! बुल-हवस के शौक से पार पाना है मुझे। है यहाँ कुछ और बाकी तो अभी भी वक़्त है! देखलो इकबार फ़िर से मन कहाँ आसक्त है। तो 'पंछी' मालूम हो कि अब नहीं मज़बूर मैं। है हदफ़ एक दायरा इन दायरों से दूर मैं। मन मेरा ये सोचता कि प्यार में हूँ चूर मैं। है हदफ़ एक दायरा इन दायरों से दूर मैं। नापना मन चाहता उन्मुक्त हो पूरा गगन! सरहदों के पार जाकर मैं रहूँ होके मगन। लालचों के इस हरम से पार जाना है मुझे! बुल-हवस के शौक से पार पाना है मुझे।