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अकबर इलाहाबादी साहब की गजल जो दिल से निकाली जाए

अकबर इलाहाबादी  साहब की गजल

 जो दिल से निकाली जाएगी 

क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी 

इस नज़ाकत पर ये शमशीर-ए-जफ़ा 

आप से क्यूँकर सँभाली जाएगी 

क्या ग़म-ए-दुनिया का डर मुझ रिंद को 

और इक बोतल चढ़ा ली जाएगी 

शैख़ की दावत में मय का काम क्या 

एहतियातन कुछ मँगा ली जाएगी 

याद-ए-अबरू में है 'अकबर' महव यूँ 

कब तिरी ये कज-ख़याली जाएगी

©PRIYANK SHRIVASTAVA 'ARMAAN'
  अकबर इलाहाबादी  साहब की गजल

अकबर इलाहाबादी साहब की गजल #Shayari

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