मैं परेशानी झेलते-झेलते तंग आ चुकी हूँ। अब ये एक नई परेशानी, पता नहीं ये सब कुछ कब तक झेलना पड़ेगा। मेरे साथ ही यह सब कुछ क्यों हुआ?
अक्सर ही ये सारे जुमले हमें सुनने को मिलते है। कोई भी दिक्कत या परेशानी आई नहीं कि हमें अपनी ज़िंदगी सबसे ज्यादा मुश्किल लगने लगती हैं। हमें लगता हैं कि हम से ज्यादा तकलीफ़ में कोई दूसरा व्यक्ति हो ही नहीं सकता। लेकिन क्या हम अपने इस दर्द से परे ज़िंदगी का सच समझ पाते है या हम समझ कर भी नहीं समझना चाहते कि दुनिया मे अगर हमसे बेहतर तरीके से ज़िंदगी जीने वाले लोग हैं तो इसी दुनिया में ऐसे लोग भी है जिनकी ज़िंदगी हमसे कही ज्यादा मुश्किल हैं।
अगर हमारे पास अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए चीजें या पैसे नहीं है तो हमारे अलावा इस दुनिया मे ऐसे लोग भी है जो अपनी सामान्य जरूरतों को पूरी करने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। सच तो यह है कि उनकी ज़िंदगी हमसे ज्यादा मुश्किल है और हमारी ज़िंदगी उनसे कहीं ज्यादा सरल।
जब हम अपने आस पास किसी बीमार या दिव्यांग व्यक्ति को देखते हैं तो हमारे मन में दया की भावना उत्पन्न होती हैं। हम उसके प्रति संवेदना प्रकट करते हुए उसके लिए प्रार्थना करते हैं लेकिन हम भगवान को हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए धन्यवाद देना भूल जाते है।