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पापियों का पाप देख पापियों का पाप देख रक्त मेरी द

पापियों का पाप देख

पापियों का पाप देख
रक्त मेरी देह का
उबाल मारता है
संविधान हाथ बांध
मेरे दोनों रखा है
वरना गर्दन मरोड़ देता
पापियों की पकड़ कर
आए दिन बलात्कार 
जो पापी कर रहे हैं 
शासन प्रशासन क्यों
क्यों चौकस नहीं रहता।।


इतना बड़ा संविधान
किस लिए बना है
क्यों न्याय बिन नारी बेचारी 
कोतवाली  कचहरी भटके
काहे बिना न्याय उसको
मिल नहीं पाता है
बार बार उसको
तारीख पर तारीख मिलती 
न्याय बिना कोई भटके
क्या संविधान ये कहे
न्यायपालिका की नींद
क्यों टूटती ही नहीं है ।।

बेटियों की इज्जत 
तार-तार पापी करते
क्यों भारत की पुलिस 
गोलियों से सीना उनका 
आर पार नहीं करते
मर जाएं सारे पापी
शमशान में जाकर भटकते
यही अपेक्षा हम
भारतीय पुलिस से करते

कवि होरीलाल विनीता ने
सदैव सच बात लिखा करते।

©कवि होरी लाल "विनीता"
  पापियों का पाप देख

पापियों का पाप देख #विचार

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