सुनते हैं तेरी महिमा दिन और रात बरसती है, फिर क्यों वो सुनी आंखें एक औलाद को तरसती है।। जिसको लोग बाँझ समझ कर दुत्कार देते हैं, उसके दिल पर क्या गुजरी क्या किसी ने वो छवि देखी है !! बड़े अरमान होते हैं कि मेरे घर में, सूने आँगन में