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|| श्री हरि: || 69 - सेवा 'दादा, तू सुबल की गोद म

|| श्री हरि: ||
69 - सेवा

'दादा, तू सुबल की गोद में सिर रखकर सो जा।' कन्हाई को जब जो धुन चढ गयी, अपनी धुन तो वह पूरी ही करेगा। अपने बडे़ भाई का हाथ पकडकर यह खीचने लगा है। स्वयं अपने हाथों इस तमाल के नीचे किसलय तथा कुसुमदल बिछाकर शय्या बनायी है बड़े श्रम से इसने। अब उस श्रम को सफल भी तो होना चाहिए।

'क्यों?' दाऊ ने पूछ लिया।

'तू थक गया है। देख मैंने तेरे लिए कितनी सुंदर शय्या बनायी है।' कितना बढिया तर्क है। श्याम ने शय्या बनायी है इसलिए दाऊ थक गया है।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || 69 - सेवा 'दादा, तू सुबल की गोद में सिर रखकर सो जा।' कन्हाई को जब जो धुन चढ गयी, अपनी धुन तो वह पूरी ही करेगा। अपने बडे़ भाई का हाथ पकडकर यह खीचने लगा है। स्वयं अपने हाथों इस तमाल के नीचे किसलय तथा कुसुमदल बिछाकर शय्या बनायी है बड़े श्रम से इसने। अब उस श्रम को सफल भी तो होना चाहिए। 'क्यों?' दाऊ ने पूछ लिया। 'तू थक गया है। देख मैंने तेरे लिए कितनी सुंदर शय्या बनायी है।' कितना बढिया तर्क है। श्याम ने शय्या बनायी है इसलिए दाऊ थक गया है। #Books

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