तेरी जीत मेरी जीत.. तेरी हार मेरी हार.. सुन ए मेरे यार....... कविता अनुशीर्षक में पढ़ें विजय त्यागी ये जो होती है ना..दोस्ती तासीर इसकी डोडा-पोस्त सी नशा इसका कम नहीं होता इसके दम पर वो भी दम भरे जिनमें कुछ भी दम नहीं होता गर सच्चा हो दोस्त तो फिर गम होकर भी गम नहीं होता नर्म-नर्म आँखों का बिछौना