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मैं स्त्री हूं..! घर के आंगन की बेटी हूं, बहन हूं

मैं स्त्री हूं..! घर के आंगन की
बेटी हूं, बहन हूं, माँ हूं
ब्रह्माण्ड की धरोहर हूं
सम्पूर्ण विश्व की भविष्य हूं

मैं स्त्री हूं..! ममता रूपी सागर की
मनोहर प्रेम की प्रतिमा हूं
भाव, भाषा, अभिलाषा हूं
मन के खुले विचारों की 

मैं स्त्री हूं..! शक्ति  रूपी स्वरूप की
शांति का ही एक रूप हूं
खुशियों की नूर हूं
चेहरों पर खिलती मुस्कान की

मैं स्त्री हूं..! त्याग और समर्पण की
सपनो की उड़ानों की
जीवन के सुंदर समतल की
साहस और आत्मविश्वास की

मैं स्त्री हूं..! दिलों की मुहब्बत की
सब्र की मिसाल हूं
रिश्ते की ताक़त हु
अपनो का एहसास हु

मैं स्त्री हूं..! सहनशिलता की मूरत हूं
आस्था हूं, विश्वाश हूं,
उम्मीदों की एकमात्र आश हूं

मैं स्त्री हूं..! सफलता की सीढि़यों की
शिक्षित, पुष्पित, शक्तिशाली
हर देश की शान हूं


हां में नारी हूं, नारायणी हूं
 खिलौना नहीं, कोई पूर्णविराम नहीं
मैं एक स्त्री हूं खुले आसमान की...
@Gappuu_kuchchhi

©gappuukuchchhi
  Hello दोस्तो इस दुनिया में मैं नया हूं और इस प्लेट फार्म पर हमारी पहली रचना आपके सामने रख रहा हूं 

आशा करता हुं आप सब को बहुत पसंद आयेंगी

अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखे
@Gappuu_kuchchhi
धन्यवाद

Hello दोस्तो इस दुनिया में मैं नया हूं और इस प्लेट फार्म पर हमारी पहली रचना आपके सामने रख रहा हूं आशा करता हुं आप सब को बहुत पसंद आयेंगी अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखे @Gappuu_kuchchhi धन्यवाद #Poetry

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