#DearZindagi तूम इस कोशिश में थे की ऐसा क्यों हो जाए मैने रात भर ये सोचा की बस यूँ हो जाए चाहने वाले चाहे तो क्या नहीं हो सकता ये मसला अभी भी ज्यों का त्यों हो जाए 1 सुनो! खुले आम क़त्ल कर के ख़ुश होने वाले ये आँधी गर पलटी तो कई शहर साथ ले जाए सच को थोड़ा सा डर है पर वो डरा नहीं है वो तो बेबाक कहता है ,जो होना है हो जाए ख़ुदा को पाने की ज़िद में ये उलझे हुए लोग आरजू है की चले इस राह में तो खो ही जाए जब तलक खामोश था, तो ठीक था वो जरा सी बात की तो लगा की अब रो जाए ये शायरी की दीवानगी अब छोड़ो भी 'अली" रात बहुत हो चुकी है चलो अब सो भी जाए गजल लिखने की छोटी सी कोशिश