कहने को तो सख़्त है कोमल सा दिल हमारा इश्क के हर सितम को नजदीक से जानता है विरहाग्नि में जली रूह तो उसने दिल से पूछा अरे क्यों तू बेवजह अपनी सीमाएँ लांघता है हर दुआ में मुसल्सल अब मौत मांगता है मुकम्मल हो दुआ तेरी बन फ़िरोज मांगता है मुमकिन नहीं वस्ल-ए-मोहब्बत-ए-यार की फिर क्यों ख़ामखा रब से फ़िरदौस मांगता है हिज़्र-ऐ-आब जो निगाहों में थम नहीं रहा है दर्द-ऐ-विरह भी तो कम-बख़्त कम नहीं रहा है अब जिस्म मेरा ये नस्वर सुपुर्द-ए-ख़ाक हो जाए क़िस्सा-ए-ज़ीस्त रहे पाक फ़क़त यही दिल चाहता है #चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #heart #दिल #विरह #nojoto #nojotohindi #नोजोटो