उम्मीद भरोसे की नाव को चलाती है उम्मीद, मुसाफ़िर को राह ए मंजिल बताती है उम्मीद, टूटा जाए कोई तारा जो अंबर से, उससे निकली रोशनी हमें दिखाती है उम्मीद। दरख़्त जो सूख कर हैं मरने के इंतजार में, बारिश की बूंदे जीने की जगाती है उम्मीद। लहरें साहिल से टकरा कर मायूस लौट जाती हैं, उन्हें साहिल से मिलाने को वापस लाती है उम्मीद। परिंदे घर छोड़ जाते हैं खाने की तलाश में, घोसलें में चूजों से इंतजार कराती है उम्मीद। आज जो हुआ उसका हिसाब ही क्या करें, कल बेहतर होगा यही हमें बताती है उम्मीद। कायम है ये ज़माना उम्मीद के ही दम पर, पर हद से ज्यादा क्यों किसी से की जाती है उम्मीद। रिश्ते भी बंधे होते हैं इस उम्मीद की डोर से, डोर कमजोर हुई तो टूट जाती है उम्मीद। वक्त और उम्मीद का आंकड़ा भी 36 का है, वक्त आने पर ही साथ छोड़ जाती है उम्मीद। उम्मीद पर नहीं ज़िद पर जीना सीखो अभिषेक, ज़िद के आगे ही तो घुटने टेक देती है उम्मीद।। ©Er Abhishek Sharma #ummid #Hindi #shayri #Dark