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मदहोश हो गए हम ना जाने क्या छुपा था उन निगाहों म

मदहोश हो गए हम 

ना जाने क्या छुपा था उन निगाहों में 
आईना देख हो गया टूटकर चकनाचूर 
फ़िर भी राज़-ए-दिल ना जान सका वो 
उन खूबसूरत निगाहों को देखता रहा बदस्तूर 

कभी शर्म से झुकी वो हसीन आँखें 
अपलक निहारती थीं आईना 
आज जाने हुआ क्या 
दर्द से भरकर आखिर क्या चाहें वो कहना 

दुख के आँसू छलकने को थे उनसे 
फ़िर भी नशा हुआ ना था उनका कम
कयामत का सा था उनका असर 
देखते ही उनको मदहोश हो गए हम 

ग़ज़ब ढाती है जब भी वो मुस्काती है 
चेहरे की भी मादकता उनकी अब भी बाकी है 
उनकी हर इक अदा पर मर मिटे हम 
जब से देखा उनको, होश में आना अब भी बाकी है

©Poonam Suyal
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