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खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक नभ में विपुल विर

खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक 
नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक

उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें हैं थूक 
जिसमें कानी हो गई शासन की बंदूक

बढ़ी बधिरता दसगुनी, बने विनोबा मूक
धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक

सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक 
जहाँ-तहाँ दगने लगी शासन की बंदूक

जली ठूंठ पर बैठकर गई कोकिला कूक 
बाल न बाँका कर सकी शासन की बंदूक !

©Suraj Thakur
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#Politics