आचार्य विद्या सागर जी के अवतरण दिवस पेर समर्पित मेरी भावनाये सन्त स्वरूप अरिहन्त को नमन जैन धर्म के सन्त को। अविशवशनीय अद्भुत जिनकी चर्या नमन् ऐसे भग्वन्त् को।। वाणी मे जिनकी सर्वकल्याण भाव हो नमन ऐसे दिगम्बर सन्त को। मुस्कराहट जिनकी सूरज की किरण सी नमन ऐसे भगवन्त् को।। साक्षात देव भी जिनके तप को करे प्रणाम नमन ऐसे दिगम्बर सन्त को।। नमन ऐसे भग्वन्त को।। ©chahat गुरूवर को नमन