जैसे करती है वसुधा सुबह से सायं की ओर मुझे तय करना है सफ़ऱ जिंदगी का तेरी ओर ! जैसे अनवरत साथ रहते हैं चाँद और चकोर निहारते है एक दूसरे को जब तक कि न हो जाये भोर ! अपनी धुरी पर घूमकर मिलना है मुझे दूर क्षितिज पर कि बाकी और कुछ दिखे ही नही किसी भी ओर ! रखना है तालमेल बनाकर पंछियों सा हर दम ऊँची से ऊँची उड़ान भरकर भी भुलाते नही अपना ठोर ! Challenge-137 #collabwithकोराकाग़ज़ 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :) #तालमेल #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️