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बूंद बूंद से घड़ा भरता है पर सिर्फ खर्च करने से घ

बूंद बूंद से घड़ा भरता है
पर सिर्फ खर्च करने से 
घड़ा खाली भी होता है।
अब वही स्थिति है क्योंकि
प्रकृति हमारे कृत्यों से रूठी है।
बारिश बोली पेड़ नहीं तो कैसे रुकूं?
पेड़ बोले, मिट्टी नही सीमेंट पर कैसे बढूं ? 
चलो अब हम इंसा ही कुछ यूं करें
 पानी बचाएं,पेड़ लगाएं।
एक  ही घर में खुशी से रहे, 
जंगल काट न सेकंड होम की रट लगाएं।🙏🏻

©Smita Sapre #पानीपानी
#waterday
#savewater
बूंद बूंद से घड़ा भरता है
पर सिर्फ खर्च करने से 
घड़ा खाली भी होता है।
अब वही स्थिति है क्योंकि
प्रकृति हमारे कृत्यों से रूठी है।
बारिश बोली पेड़ नहीं तो कैसे रुकूं?
पेड़ बोले, मिट्टी नही सीमेंट पर कैसे बढूं ? 
चलो अब हम इंसा ही कुछ यूं करें
 पानी बचाएं,पेड़ लगाएं।
एक  ही घर में खुशी से रहे, 
जंगल काट न सेकंड होम की रट लगाएं।🙏🏻

©Smita Sapre #पानीपानी
#waterday
#savewater