हर कदम पर वही एक जानी-पहचानी सी चुभन अपनी मौजूदगी बता जाती है.. पाँव बढ़ते नहीं तुमसे दूर जाने को,,, पाँव लौटते भी नहीं तुम्हारी ज़ानिब.. या रब.. ये इश्क़ है या काँटों की रहगुज़र.. #अमृता ©Amrita Singh