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मैं वो एहसास लिखना चाहती हूं जो तुमसे कभी कहा ही न

मैं वो एहसास लिखना चाहती हूं
जो तुमसे कभी कहा ही नही 
हृदय में विराजमान है तुम्हारी अप्रतिम मूर्ति
और तुम्हें पता तक नहीं
पूजती हूँ प्रातः और संध्या तुम्हें
लेकिन इस विह्वल मन की पुकार तुम तक पहुचती ही नहीं
कैसे बताऊं कैसे पीड़ा दिखाऊँ तुम्हें
इस हृदय की वेदना के भाव तुम तक पहुँचते ही नहीं
लिख कर छोड़ देती हूं पन्नों पर मन की अभिव्यक्ति
के तुम कभी तो पढ़ोगे जो डायरी तुमने कभी उठाई तक नहीं

©Richa Dhar #aaina एहसास
मैं वो एहसास लिखना चाहती हूं
जो तुमसे कभी कहा ही नही 
हृदय में विराजमान है तुम्हारी अप्रतिम मूर्ति
और तुम्हें पता तक नहीं
पूजती हूँ प्रातः और संध्या तुम्हें
लेकिन इस विह्वल मन की पुकार तुम तक पहुचती ही नहीं
कैसे बताऊं कैसे पीड़ा दिखाऊँ तुम्हें
इस हृदय की वेदना के भाव तुम तक पहुँचते ही नहीं
लिख कर छोड़ देती हूं पन्नों पर मन की अभिव्यक्ति
के तुम कभी तो पढ़ोगे जो डायरी तुमने कभी उठाई तक नहीं

©Richa Dhar #aaina एहसास
richadhar9640

Richa Dhar

New Creator

#aaina एहसास #कविता