चलो हम फिर मनाते ह मुशर्रत जशन ऐ आजादी हजारो गर्दने कट कर मिली ये रत्न ऐ आजादी किसी ने खोया बेटे को किसी ने मांग का सिंदूर हजारो तुर्बते बनकर मिली ये वतन ऐ आजादी अमजद निगार A