बचपन और कागज़ की कश्ती अमीर थे कितने जब बच्चे थे हम, कभी उड़ते हवाओं में जहाज हमारे तो कभी तैरते पानी पर जहाज हमारे, चंद सिक्कों को हाथों में ऐसे खनखाते जैसे कहीं के हो शहजादे। #बचपन_और_कश्ती