जब मुक्षसे महोबत ही नही तो रोकते कयुं हो तनहाई में मेरे बारे सोचते कयुं हो जब मंजिले जुदा हे तो जाने दो लोट के कब आओगे ये पूछ ते कयं हो ©talib khan70 talib khan70