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प्रकृति एक पुस्तक के समान है जिसमें से हमें एक पा

प्रकृति एक पुस्तक के समान है जिसमें से हमें
 एक पाठ याद करना है और जब वो पाठ हमें
 याद हो जाएगा तो उसकी हमें आवश्यकता
 नहीं रहेगी पर ऐसा समझने के बजाय हम
 प्रकृति से अपना एकत्व मान बैठते हैं...
 -स्वामी विवेकानंद

©VED PRAKASH 73
  #जीवन_धारा