फूलों सी सृजन हेतु हीं सँवारती प्रकृति छटा धरा और भूधर की, परस्पर भेंट भी है जरूरी पराग और पुंकेशर की। सहज फैलाना न पंखुड़ियां फूलों सी, भ्रमर शैतान होता है अर्ज़ी परखना रसिक नामाकूलों की, नहीं आसान होता है! कि प्रेम के नाम से पुलकित हर एक इंसान होता है... परंतु परिणय प्रगाढ़ता पूर्व यूँ मिलन दोष समान होता है!!:) 🌼 🌹 🙏🌹🌼 ©RAVINANDAN Tiwari #dilkibaat #हल्के_कलम #अनुराग_कच्ची_सड़क #NojotoWriter #Nojotohindi #NojotoFilms