आखिर किस से नाराज़ रहूं? किससे खफा हो जाऊं? मै कोई रोज़मर्रा की चीज़ जो हर किसी के काम आऊ शायद ये खामोशी ही अच्छी है क्यो बोलकर किसी का दिल दुखाऊ? अपना होता रहता पास मेरे आखिर क्यों किसी की मजबूरी बन जाऊं? ©DHANANJAY PANDEY #आखिर#क्यो#sad#poetry