खुदा लो अब खुदा को ही देख लो उसे उसके मिजाज से दूर रहकर एहसास कराता है अपने अंदाज से कभी धूप तो कभी बारिश कभी ठंड तो कभी गर्मियों की गर्दिश परदा हटा देता है एक लम्बी रात के बाद बुंता है दिन, खिला सुन्दर कलियो से है रूबरू तुझसे वो पर तू उससे बेखबर है जरा देख तो अपने भीतर वो वहीं मौजूद है # God/ishwar/Allah/Guru