शाख से टूटा हूँ आवारगी में बसर करता हूँ मैं अपने जिस्म में भटका सा सफर करता हूँ आज़मा ले मेरा हौसला छीन ले आसमां मुझसे मैं अपने ख्वाब में उम्मीदों के पर रखता हूँ #उम्मीदों के पर