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कुबूल हूँ मै तुम्हे अगर तो हरेक ख़ामी भी हँस के

कुबूल  हूँ मै तुम्हे अगर तो  हरेक ख़ामी  भी हँस के सहना।
वग़रना छोड़ो वफ़ा कि बाते, अब अपने नाते तमाम समझो।
-अनहद गुंजन अग्रवाल #friendship_shayri
कुबूल  हूँ मै तुम्हे अगर तो  हरेक ख़ामी  भी हँस के सहना।
वग़रना छोड़ो वफ़ा कि बाते, अब अपने नाते तमाम समझो।
-अनहद गुंजन अग्रवाल #friendship_shayri