उस जहां में, जहाँ 'उल्फ़त वाली बैसाखी' न हो, जहां कोई उम्मीदें बाकी न हो, 'आशाओं के दीये' अब और नहीं जलाना मुझे उम्मीदों के बोझ तले दबा जाता हूँ, मैं तो अब बस शून्य हो जाना चाहता हूं ले चल मुझे... #लेचलमुझे #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi