हर बात का logic निकालना ज़रूरी तो नहीं दिल खुश रखना मज़बूरी तो नहीं हम टमाटर बन कर बिच गए इन गलियारों में बाज़ार में उपलब्ध हर तरह के लोग के मोल भाव तो नहीं किसी को कौन सा नरम सख़्त हरा सुर्ख लाल मुलायम ये मसला तो नहीं ज़िंदगी भर सोचा ये दिल की गुल्लक में जमा पूंजी का बाज़ार जमा तो नहीं कोई आया कोई गया कोई रुका कई बार रोकना चाहा पर रुका तो नहीं जो रुका वो तुम्हारा साथ बस वही तक तो नहीं ये इंसान इंसान ही है ना ये सवाल तो नहीं? चलो हर बात पर logic ज़रूरी तो नहीं कभी बे मतलब ही हंसना गलत तो नहीं अपने अंदर उस बच्चे को जीने देना लालच तो नहीं जज़्बात ए हर्षिता हर बात का logic निकालना ज़रूरी तो नहीं दिल खुश रखना मज़बूरी तो नहीं हम टमाटर बन कर बिच गए इन गलियारों में बाज़ार में उपलब्ध हर तरह के लोग के मोल भाव तो नहीं किसी को कौन सा नरम सख़्त हरा सुर्ख लाल मुलायम ये मसला तो नहीं ज़िंदगी भर सोचा ये दिल की गुल्लक में जमा पूंजी का बाज़ार जमा तो नहीं कोई आया कोई गया कोई रुका कई बार रोकना चाहा पर रुका तो नहीं जो रुका वो तुम्हारा साथ बस वही तक तो नहीं