(सास कभी मां नहीं बन सकती लेकिन मेरा मानना कुछ और है) मां लाड प्यार से बिगाड़ती है सास डांट फटकार से सुधारती है। मां बेटी को बेटों से अधिक स्नेह देती है सास तो बेटे ही सौंप देती है। मां पाल पोस कर घर से विदा कर देती है सास अपने घर की मर्यादा, अपने वंश का भार डाल देती है। हर तकलीफ में बेटी मां का नाम लेती है चोट लगने पर पहले सास ही मरहम लगाती है। मां धन्य है जो अपनी बेटी पराये घर भेज देती है सास की महानता भी कम नहीं जो पराई बेटी अपनाती है। सच है सास मां नहीं होती पर मां से कम भी नहीं होती। ©Poetess Yogita Tiwari #सास