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भारत की स्वतंत्रता के बाद संविधान निर्माताओं ने सै

भारत की स्वतंत्रता के बाद संविधान निर्माताओं ने सैकड़ों वर्ष की अवधि परमपिता और दास्तां को मिटाकर भारतीय राजनीति के एक सर्वप्रिय और विशेषकर शुरू प्रदान करने की भी कोशिश की है उसे गणतंत्र दिवस पर गहराई से समझना आवश्यक है कुछ कम्युनिस्ट्स विचारों को ने धर्म को मजाक के सामर्थ्य मानने की भूल करते हुए सनातन धर्म के सरस्वत मानवीय मूल्यों को शंकर ने दृष्टि से समझने का जो कार्य किया है उसे मिटाते हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय जीवन पद्धति को धर्म का मूल मानते हुए राष्ट्रीय के कल्याण के लिए उनका सूत्र वाक्य में प्रयोग किया है और धर्म शब्द की वास्तविकता संज्ञा की यूरोपीय विचारक और वामपंथी इतिहासकार भारत के जीवन दर्शन की गहराई तथा थावे नाम ना सके और उसे स्वतंत्र भारत निर्मित चिंतकों और पूर्णता करने में काम किया गया उसके रुख को स्पष्ट किया इसी कारण धर्म चक्र परिवर्तन को भारत संसद की परिणति के रूप में स्वीकार किया गया तो भारत की न्यायपालिका की 1 धर्म रक्षित रक्षित भारतीय संविधान की मूल प्रति में जिनसन के चित्रों का उपयोग हुआ है वह भारतीय संस्कृत से ही लिए गए हैं परंतु दुर्भाग्य हमारे संविधान का मूल स्वरूप आम लोगों को सहज उपलब्ध नहीं है संविधान का जो पाठ बाजारों में उपलब्ध है उसमें से वह संकेतिक चित्र नहीं दिए होते संविधान के किस भाग में भारतीय नागरिकता का उल्लेख है उसी भाग का 12 में वैदिक काल के गुरुकुल से किया गया है ऐसे गुरुकुल जहां वैदिक उपनिषदों का पाठ हो रहा है और हवन भी हो रहा है वैदिक ऋषि द्वारा जाने वाला यह हवन ही भारतीय संस्कृति के मूल तत्व को बताने के लिए पर्याप्त है

©Ek villain # राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है सविधान

#RepublicDay
भारत की स्वतंत्रता के बाद संविधान निर्माताओं ने सैकड़ों वर्ष की अवधि परमपिता और दास्तां को मिटाकर भारतीय राजनीति के एक सर्वप्रिय और विशेषकर शुरू प्रदान करने की भी कोशिश की है उसे गणतंत्र दिवस पर गहराई से समझना आवश्यक है कुछ कम्युनिस्ट्स विचारों को ने धर्म को मजाक के सामर्थ्य मानने की भूल करते हुए सनातन धर्म के सरस्वत मानवीय मूल्यों को शंकर ने दृष्टि से समझने का जो कार्य किया है उसे मिटाते हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय जीवन पद्धति को धर्म का मूल मानते हुए राष्ट्रीय के कल्याण के लिए उनका सूत्र वाक्य में प्रयोग किया है और धर्म शब्द की वास्तविकता संज्ञा की यूरोपीय विचारक और वामपंथी इतिहासकार भारत के जीवन दर्शन की गहराई तथा थावे नाम ना सके और उसे स्वतंत्र भारत निर्मित चिंतकों और पूर्णता करने में काम किया गया उसके रुख को स्पष्ट किया इसी कारण धर्म चक्र परिवर्तन को भारत संसद की परिणति के रूप में स्वीकार किया गया तो भारत की न्यायपालिका की 1 धर्म रक्षित रक्षित भारतीय संविधान की मूल प्रति में जिनसन के चित्रों का उपयोग हुआ है वह भारतीय संस्कृत से ही लिए गए हैं परंतु दुर्भाग्य हमारे संविधान का मूल स्वरूप आम लोगों को सहज उपलब्ध नहीं है संविधान का जो पाठ बाजारों में उपलब्ध है उसमें से वह संकेतिक चित्र नहीं दिए होते संविधान के किस भाग में भारतीय नागरिकता का उल्लेख है उसी भाग का 12 में वैदिक काल के गुरुकुल से किया गया है ऐसे गुरुकुल जहां वैदिक उपनिषदों का पाठ हो रहा है और हवन भी हो रहा है वैदिक ऋषि द्वारा जाने वाला यह हवन ही भारतीय संस्कृति के मूल तत्व को बताने के लिए पर्याप्त है

©Ek villain # राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है सविधान

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