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जीवन की पुस्तक का पन्ना पन्ना उलट पलट कर बांचती हू

जीवन की पुस्तक का पन्ना पन्ना उलट पलट कर बांचती हूं।
किंतु अन्ततः हाथ लगती है निराशा
कौन पढ़ सकता है तुम्हारा लेख,
कौन मिटा सकता है, भाग्य रेख।
तुम्हारा लेख तुम्हीं जानो, हमें क्या मानो
हम तो तुम्हारे लिखे कथानक के पात्र हैं
नचा लो जितना चाहो,हम हैं कमजोर
तुम्हारे हाथों में है डोर।
हमारी भाग्य लिपि अपना नाम लिख दो
मेरे जीवन की पुस्तक में सेवा काम लिख दो।।

©Veena Kapoor #जीवन पुस्तक
जीवन लेख
भाग्य रेख
कौन जाने
कौन पढ़े

#BooksBestFriends
जीवन की पुस्तक का पन्ना पन्ना उलट पलट कर बांचती हूं।
किंतु अन्ततः हाथ लगती है निराशा
कौन पढ़ सकता है तुम्हारा लेख,
कौन मिटा सकता है, भाग्य रेख।
तुम्हारा लेख तुम्हीं जानो, हमें क्या मानो
हम तो तुम्हारे लिखे कथानक के पात्र हैं
नचा लो जितना चाहो,हम हैं कमजोर
तुम्हारे हाथों में है डोर।
हमारी भाग्य लिपि अपना नाम लिख दो
मेरे जीवन की पुस्तक में सेवा काम लिख दो।।

©Veena Kapoor #जीवन पुस्तक
जीवन लेख
भाग्य रेख
कौन जाने
कौन पढ़े

#BooksBestFriends

#जीवन पुस्तक जीवन लेख भाग्य रेख कौन जाने कौन पढ़े #BooksBestFriends