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दरकती हैं सांसे अब, चीखती है आत्मा, पैर हुए लहूलुह

दरकती हैं सांसे अब,
चीखती है आत्मा,
पैर हुए लहूलुहान,
किससे करे प्रार्थना ?
मर गया ज़मीर अब,
जगाए तो कैसे,
मर गए जो उन्हें,
गले लगाए कैसे ?
विदीर्ण हुआ शरीर,
सूखे होठ है,
बाहर शांति है,
अंदर बहुत शोर है,
लंबा सफ़र है,
जाना मगर है,
मर भी गए गर,
चलना हर पहर है,
अब आंसू सुख गए,
शहर हमसे रूठ गए,
थोड़े आगे बढ़े हम,
साथी मगर छूट गए,
मन व्याकुल है,
मन दुःखित है,
मन व्यथित है,
मन शिथिल है,
कराहती हिम्मत है,
रुदन करती किस्मत है,
पथ है समुन्द्र अथाह,
छालों की क्या कीमत है ?
प्राण त्यागे कितनों नें,
जीवन था जिनके सपनों में,
मर गए कितनें रास्तों में,
जुलना था जिन्हें अपनों से,
फटे तलवे पूछेगी सत्ता से,
कुसूर क्या हमारा था ?
क्यूँ हुए हम ऐसे "प्रवासी" ?
जिनका न घर न डेरा था.... #alone #so #sorrow #lockdown #corona #covid19 #ravindrashrivastavaquote
दरकती हैं सांसे अब,
चीखती है आत्मा,
पैर हुए लहूलुहान,
किससे करे प्रार्थना ?
मर गया ज़मीर अब,
जगाए तो कैसे,
मर गए जो उन्हें,
गले लगाए कैसे ?
विदीर्ण हुआ शरीर,
सूखे होठ है,
बाहर शांति है,
अंदर बहुत शोर है,
लंबा सफ़र है,
जाना मगर है,
मर भी गए गर,
चलना हर पहर है,
अब आंसू सुख गए,
शहर हमसे रूठ गए,
थोड़े आगे बढ़े हम,
साथी मगर छूट गए,
मन व्याकुल है,
मन दुःखित है,
मन व्यथित है,
मन शिथिल है,
कराहती हिम्मत है,
रुदन करती किस्मत है,
पथ है समुन्द्र अथाह,
छालों की क्या कीमत है ?
प्राण त्यागे कितनों नें,
जीवन था जिनके सपनों में,
मर गए कितनें रास्तों में,
जुलना था जिन्हें अपनों से,
फटे तलवे पूछेगी सत्ता से,
कुसूर क्या हमारा था ?
क्यूँ हुए हम ऐसे "प्रवासी" ?
जिनका न घर न डेरा था.... #alone #so #sorrow #lockdown #corona #covid19 #ravindrashrivastavaquote