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मेरे मन मंदिर का दीपक मेरे आँगन की तुलसी हो..

  मेरे मन मंदिर का दीपक 
मेरे आँगन की तुलसी हो..

कोई रात नहीं जाती ऐसी 
तुम ख्वाबों में ना मिलती हो..

हर ओर नज़र तुम आती हो 
हर बार तुम दिल को छलती हो.. 

मेरे सपनों की शहजादी 
 तुम मुझको क्यूँ नहीं मिलती हो.. 

कैसी उलझन कैसा बंधन 
किस चीज़ ने तुमको रोका है.. 

कबसे तेरी इन राहों में 
तेरा प्यार यहाँ पर बैठा है..
   
#akhileshdubey

©Akhilesh dubey
  you are everything for me...

you are everything for me... #Shayari #akhileshdubey

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