मौजूद है वो मेरी रूह मे, छाओ मे छिपे सुकून मे। कैद है किसी जज़्बात मे, आहट हो जैसे हर बात पे। पास है वो, उसका कोई ठिकाना नहीं, इस हसीं का राज़ है वो, दूर जाए तो घबराना नहीं। तेरा वक़्त ही नहीं, तेरा वजूद है वो, खोकर जो वापस आता नहीं, उस विश्वास सा मजबूत है वो। सिमरन राय मौजूद है वो