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मोहब्बत मिल गई होती, न उजड़ी ज़िन्दगी होती न सड़को

मोहब्बत मिल गई होती, न उजड़ी ज़िन्दगी होती
न सड़कों पर पड़ा होता, न कायम मुफ़लिसी होती

                                       ~ प्रणव पाराशर मुफ़लिसी...
मोहब्बत मिल गई होती, न उजड़ी ज़िन्दगी होती
न सड़कों पर पड़ा होता, न कायम मुफ़लिसी होती

                                       ~ प्रणव पाराशर मुफ़लिसी...