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मौसम ए हिज़्र मैं अब सुकून से सोना क्या जो मुकम्मल

मौसम ए हिज़्र मैं अब सुकून से सोना क्या
जो मुकम्मल अपना था ही नही उसे खोना क्या  (X2)

जो रुख्सत हो गए गेरो की बाहों मैं तुम्हे तन्हा छोड़कर,
कम्बक्त  "उसे याद करके" अब रोना क्या  ।।
 याद करके उसे
#yaadkarkeuse #collab #yqbhaijan #urdu #gazal #sad #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Bhaijan
मौसम ए हिज़्र मैं अब सुकून से सोना क्या
जो मुकम्मल अपना था ही नही उसे खोना क्या  (X2)

जो रुख्सत हो गए गेरो की बाहों मैं तुम्हे तन्हा छोड़कर,
कम्बक्त  "उसे याद करके" अब रोना क्या  ।।
 याद करके उसे
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