मॉर्निंग मंत्रा अकेले पन की तडप को क्या नाम दूँ मैं कि जिदंगी तनहा को क्या नाम दूँ मैं यूँ तो बिछड़े हुये दिन हुए दो चार इन दिनों उनकी कमी को क्या नाम दूँ मैं अकेले पन की तडप को क्या नाम दूँ मैं अब आदत नही है उनसे दूर रहने की इस मजबूरी को क्या नाम दूँ मैं अकेले पन की तडप को क्या नाम दूँ रवि झा ©RJ Gumnam #अकेलामन