White मैं, उन लोगों को जरा क्या ही बोलु बेहतर यहीं है, की कुछ भी ना बोलु कलम की धार को थोड़ा धीमे रख करवट बदलती सी एक किताब खोलु लहजा नहीं, कुछ अलग ये मेरा सभी में अक्सर मैं खुद ही को टटोलु गुमनाम सी, गुमराह कहीं भटकती मिले तजुर्बे से अपने सब अलग ही तोलु अंदाजा खुद का खुद ही लगा बैठी यहाँ अपनों से मिलु और अपनों की बोलु ©WRITERAKSHITAJANGID #Morning post