कदम जब चूम ले मंज़िल, तो जज़्बा मुस्कुराता है. दुआ लेकर चलो माँ की, तो रस्ता मुस्कुराता है. किया नाराज़ माँ को, और बच्चा हँस के ये बोला. के ये माँ है मियाँ, इसका तो गुस्सा मुस्कुराता है. किताबोँ से निकलकर तितलियाँ ग़ज़लेँ सुनाती हैँ. टिफिन रखती है मेरी माँ, तो बस्ता मुस्कुराता है. सभी रिश्ते यहाँ बर्बाद हैँ मतलब परस्ती से. मगर सदियोँ से माँ-बेटे का रिश्ता मुस्कुराता है. सुबाह उठते ही जब मैँ चूमता हूँ माँ की आँखोँ को. ख़ुदा के साथ उसका हर फरिश्ता मुस्कुराता है. मेरी माँ के बिना मेरी सभी ग़ज़लेँ अधूरी हैँ. अगर माँ लफ़्ज़ शामिल हो तो किस्सा मुस्कुराता है. दिया था जो उसे हामिद ने मेले से कभी लाकर. अमीना की रसोई मेँ वो चिमटा मुस्कुराता है. वो उजला हो के मैला हो, या मँहगा हो के सस्ता हो. ये माँ का सर है, इस पे हर दुपट्टा मुस्कुराता है. फरिश्तों ने कहा आमाल का संदूक क्या खोलेँ. दुआ लाया है माँ की, इसका बक्सा मुस्कुराता है. Meri maa ke liye .......Pyari MAA